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लोग समझते है कि राधा और कृष्ण अलग-अलग है किंतु वैद पुराणों के अनुसार इन्हें प्रेमी भक्त ही समझ सकते है। वास्तव में व्यक्ति के हृदय में जैसे-जैसे प्रेम बढ़ता है
राधा का भाव जागृत होने लगता है और जैसे-जैसे व्यक्ति भावों में डूबता है तब उसका कृष्ण तत्व जागृत होने लगता है। इस गुत्थी को सिर्फ अनुभव करने वाला ही जान सकता है

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